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अच्छी ओरल हेल्थ के लिए ब्रशिंग के साथ करें ये 3 आयुर्वेदिक उपाय भी, कम होगी सांसों की बदबू

पारंपरिक ब्रशिंग के लिए विकल्प

ब्रशिंग से पहले आयुर्वेदिक उपाय की महत्वता

आयुर्वेद में मुंह को स्वस्थ रखने और सांस की दुर्गंध कम करने के लिए कई प्राचीन तकनीक और उपाय बताए गए हैं।

  1. जीभ स्क्रेपिंग (जिह्वा स्रावण) - इस तकनीक में जीभ को एक विशेष मेटल या जीवनु मुक्त उपकरण से स्क्रेप किया जाता है, जिससे मुंह की सफाई होती है।

  2. गंधुष (गरारा) - गरारा करने से मुँह से विषैले तत्व निकल जाते हैं और मुंह स्वच्छ रहता है।

  3. कवल और तांबूल - कवल और तांबूल का सेवन करने से मुँह की बदबू कम होती है और मसूढ़़ों में भी सुखदता आती है।

इन आयुर्वेदिक उपायों का पालन करके आप अपने मुँह को स्वस्थ रख सकते हैं और सांसों की दुर्गंध से छुटकारा पा सकते हैं।

नारियल तेल का उपयोग

नारियल तेल एक प्राकृतिक औषधि है जिसे आयुर्वेद में विभिन्न उपचारों के लिए उपयोग किया जाता है। इसके फायदों में से एक है मुंह को स्वस्थ रखना। नारियल तेल में मौजूद गुण जीवाणुओं से लड़कर मुंह की सुरक्षा में मदद कर सकते हैं।

मुंह संबंधित समस्याओं में नारियल तेल दांतों के इन्फेक्शन को कम करने में मदद कर सकता है और मसूड़ों की समस्याओं को भी दूर कर सकता है। इसका नियमित उपयोग सांस की बदबू को भी कम कर सकता है।

आयुर्वेद में नारियल तेल को मुंह की स्वच्छता के लिए एक प्रमुख सुझाव माना जाता है। यह त्वचा के लिए भी फायदेमंद है और त्वचा को नरम, चमकदार और स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकता है।

इस प्राकृतिक औषधि को नियमित रूप से उपयोग करके आप मुंह संबंधित समस्याओं से बच सकते हैं और संपूर्ण स्वास्थ्य का भी ध्यान रख सकते हैं। मुंह को स्वस्थ रखने और सांस की दुर्गंध कम करने में नारियल तेल एक अच्छा उपाय हो सकता है।

महत्वपूर्ण सूचना: इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श ज़रूरी है।

त्रिफला चूर्ण से मुँह स्वच्छ रखें

त्रिफला चूर्ण से मुँह स्वच्छ रखना एक प्राचीन आयुर्वेदिक उपाय है जो सांसों की बदबू को कम करने में सहायक हो सकता है। त्रिफला चूर्ण में अमला, हरड़ और बहेड़ा का मिश्रण होता है जो मुँह के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

आयुर्वेद में त्रिफला चूर्ण को सांसों की बदबू को कम करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। यह मुँह में जमी कील-मुहासे को भी दूर कर सकता है और खांसी-जुकाम से भी राहत दिला सकता है।

सांस की दुर्गंध कम करने के लिए अच्छा है कि एक गिलास गुनगुना पानी में त्रिफला चूर्ण मिलाकर इसका गरारा किया जाए। इससे मुँह की सभी समस्याएं दूर होती हैं और मुँह में ताजगी भी बनी रहती है।

त्रिफला चूर्ण का नियमित सेवन करके मैंने अपने आप में सांसों की बदबू में सुधार देखा है। इसके अलावा, इसका सेवन करने से मुँह की स्वच्छता बनी रहती है और मुँह की समस्याओं में भी राहत मिलती है।

इस प्राचीन उपाय को आजमाएं और मुँह को स्वस्थ रखने और सांस की दुर्गंध कम करने के लिए आयुर्वेद में सुझाये जाने वाले इस बेहतरीन साधन का लाभ उठाएं।

अच्छी ओरल हेल्थ के फायदे

जब हम तम्बाकू का सेवन रोकते हैं, तो हमारे मुंह और दांतों को बहुत सारे फायदे होते हैं। इससे हमारे मुंह की स्वस्थता में सुधार होता है और हमारी सांसों की दुर्गंध कम होती है। आयुर्वेद में मुंह को स्वस्थ रखने के लिए कुछ विशेष सलाह दी जाती है।

मुंह की स्वच्छता में सुधार करने के लिए, आयुर्वेद विशेष ध्यान देने की सलाह देता है। दिन में दो बार ब्रश करना, जीभ स्क्रेपर का उपयोग करना और ताजा फलों और सब्जियों का सेवन करना आपके मुंह की स्वस्थता को बनाए रखने में मदद करता है।

अगर हम तम्बाकू का सेवन छोड़ देते हैं तो हमारे दांतों पर भी बहुत अच्छा असर पड़ता है। यह उन्हें सफेद और मजबूत बनाता है और मुंह में दांतों के बीच की सफाई में मदद करता है।

सांसों की दुर्गंध को कम करने के लिए आयुर्वेद में मसालेदार एलाची, लौंग और जीरा का सेवन करने की सलाह दी जाती हैं। इनसे सांसों की दुर्गंध कम होती है और ताजगी महसूस होती है।

इस प्रकार, तम्बाकू छोड़ने से शुरू होकर मुंह की स्वस्थता में सुधार और सांसों की दुर्गंध कम होना आम बात है। आयुर्वेद में इस दिशा में बहुत सारी सलाहें दी जाती हैं, जिनका पालन करने से हम अच्छी ओरल हेल्थ का आनंद उठा सकते हैं।

सारांश

आयुर्वेद में मुँह की स्वच्छता और सांसों की दुर्गंध को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण उपचार हैं।

मुँह की स्वच्छता के लिए आयुर्वेद में कुछ खास सलाहें दी जाती हैं। सुबह उठकर गर्म पानी में नमक मिलाकर कुल्ला करने से मुँह का स्वच्छता बनाए रखने में मदद मिलती है।

समय-समय पर गुणवत्ता वाले त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से मुँह से आने वाली दुर्गंध को कम किया जा सकता है। यह चूर्ण शरीर के विभिन्न रोगों को भी दूर करने में सहायक होता है।

साथ ही, ब्रशिंग के लिए लौकी के छिलके का पेस्ट बनाकर दांतों पर लगाने से भी मुँह की सफाई में सुधार हो सकता है। यह एक प्राकृतिक और कारगर उपाय है जो मुँह की स्वच्छता को बनाए रखने में मदद करता है।

यदि हम अपने आहार में सुधार करें, तो हमारे मुँह की स्वच्छता में भी सुधार हो सकता है। स्वस्थ आहार खाने से त्वचा की चमक बनी रहती है और मुँह से आने वाली दुर्गंध को भी कम किया जा सकता है।

आयुर्वेद में उल्लेखित यह सरल उपाय अपनाकर हम मुँह के स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं और सांसों की दुर्गंध से छुटकारा पा सकते हैं।

रचना को ध्यान में रखकर सार्वजनिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित यह ब्लॉग पारंपरिक और आयुर्वेदिक उपायों का संग्रह है। यहाँ पर विभिन्न उपायों के साथ मुँह की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण सलाहें दी गई हैं।

हमारी स्थानीय संस्कृति और पारंपरिक विचारधारा हमें स्वास्थ्यप्रद और प्राकृतिक उपचारों की ओर आकर्षित करती हैं। इस ब्लॉग के माध्यम से हमारी प्राचीन ज्ञानपरक विचारधारा को आधुनिक जीवनशैली में कैसे उतारा जा सकता है, इसके विचार किए गए हैं।

जनता को आयुर्वेद के महत्वपूर्ण योगदान को समझने में मदद करने के लिए इस सारांश भाग में अद्वितीय विचार प्रस्तुत किए गए हैं। हमें कामयाब होने के लिए अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान देने की आवश्यकता है।

परिणामस्वरूप, आयुर्वेद के माध्यम से मुँह की स्वच्छता और सांसों की दुर्गंध को कम करने में प्रमुख बदलाव लाया जा सकता ह। इसे अपनाने से हमारा स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है और हमें एक स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिल सकती ह।

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